28 Dec 2023

जब तुझसे मिलने आते थे ( कविता)

 

कितने ख्वाब सजाते थे

जब तुझसे मिलने आते थे ।


तेरी एक हँसी के आगे


अपने गम भूल जाते थे,


कितने ख्वाब सजाते थे


जब तुझसे मिलने आते थे ।


                

                चाँद को दावत देते थे

                

                 ये तारे मुँह फुलाते थे,

                

                कितने ख्वाब सजाते थे

                

                जब तुझसे मिलने आते थे ।

                

                

                रात की रानी महकती थी छूकर तुझको


 जुगनू चमकना भूल जाते थे,


 कितने ख्वाब सजाते थे


 जब तुझसे मिलने आते थे ।



एक शोखी हम पर आती थी

                

                जब तेरा झूठा खाते थे,

                

                कितने ख्वाब सजाते थे

                

                जब तुझसे मिलने आते थे ।

 

   बाहर जाना भूल चुके थे

तेरे सपनों में आते थे, 

कितने ख्वाब सजाते थे

        जब तुझसे मिलने आते थे ।


पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’
कोटा, राज.

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