28 Dec 2023

संघर्षों से जूझना है तो आत्मविश्वास बढ़ाइये

 आत्मविश्वास के अभाव में छोटी से छोटी समस्या भी हमें धर दबोचती है। आज की विषम परिस्थितियों ने हमारे आत्मविश्वास को हिलाकर रख दिया है। जहाँ एक ओर ये काल भयानक अवसाद से घिरा हुआ है वहीं दूसरी ओर मँहगाई और बेरोजगारी से पीड़ित जनसाधारण को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। लोग जहाँ एक ओर शोक संतृप्त है तो दूसरी और दो जून की रोटी की व्यवस्था करना भी बड़ी समस्या बनी हुई है।

 परन्तु इस समय अपने आत्मविश्वास को कसकर पकड़े रखने की आवश्यकता है। इस समय आपका टूटा आत्मविश्वास आपको एवं आपके परिवार को गंभीर परिस्थितियों में ड़ाल सकता है। हालाँकि आज की परिस्थितियों में मजबूती से खड़ा रहना अत्यंत कठिन कार्य है परन्तु अत्यंत आवश्यक भी है। क्योंकि देखा जाए तो समूचा जीवन ही कठिन संघर्षों से घिरा हुआ है। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति को हर एक क्षण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, सांसारिक दुखरुपी चट्टानों से जूझना पड़ता है। अब जीवन है तो समस्याएँ भी होंगी अत: हमें इन समस्याओं से भयभीत नहीं होना चाहिए।

 संसार में जितनी भी महान विभूतियाँ हुई हैं उन्होंने दुखों के सागर पार किये हैं तब जाकर अपने जीवन को दूसरों के लिए एक नजीर बनाया है। भगवान् राम और कृष्ण जो स्वयं अवतार थे । वे भी इन सांसारिक दुखों से बच नहीं सके । जब भगवान् को भी धरती पर अवतार लेकर दुखों का सामना करते हुए जीवन जीना पड़ता है तो मनुष्य की तो बात ही क्या है।

 जब भी समस्याएँ आये तो ये मानकर चलें कि जितनी बड़ी समस्या हमारे मार्ग में कंटक बनकर खड़ी है । उससे अनंत गुना बड़ा हमारा आत्मविश्वास है, जिसके सामने बड़ी से बड़ी समस्या तृणवत है । ये चिंतन हमारे आत्मविश्वास को बल देगा तथा हमें सिंह की भाँति  निर्भीक कर देगा और जब आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति सिंह की भाँति दहाड़ता है तो समस्यारूपी मृगों का झुण्ड भाग खड़ा होता है ।

 आत्मविश्वास रुपी दैवीय गुण के द्वारा हम जीवन में भीषण से भीषण समस्याओं को परस्त कर सकते हैं। वर्तमान समय में हमें अपने इस आत्मविश्वास रुपी दिव्यगुण को और अधिक निखारना चाहिए । जीवन में आने वाले दुःख-शोक, हास्य को अनुभव कीजिए, सतर्क रहिये उसमें बह न जाइये। जब दुःख आता है तो पर्वत के समान लगता हैं, जबकि उसका अस्तित्व आपके व्यक्तित्व के सामने राई के बराबर होता है।

 आत्मविश्वास की कमी का एक कारण शारीरिक कमजोरी भी हो सकता है। शरीर को व्यवस्थित दिनचर्या एवं योग, प्राणायाम द्वारा जितना स्वस्थ बनाया जाय, उतना अच्छा है। स्वस्थ शरीर परिस्थित्तियों का सामना करने में हमारी मदद करता है । हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मन में क्रोध,असन्तोष, ईर्ष्या या किसी के प्रति घृणा का भाव न रहे, साथ ही हमें अप्राकृतिक उपायों द्वारा मानसिक दमन से यथासम्भव बचना चाहिए।

 हम जीवन की कठोरता एवं वास्तविकता से जितना अधिक परिचित हों और उनके साथ जितना सामंजस्य स्थापित कर सकें, उतना ही हमारे लिए हितकर होगा। परिस्थितियाँ चाहे जो हों हमें जीवन तो जीना है अत: परिस्थितियों का सामना करते हुए हमें अपना आत्मविश्वास जागृत कर आगे बड़ना चाहिए।

पंकज कुमार शर्मा प्रखर

लेखक एवं विचारक

कोटा, राज.

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