शास्त्र कहते हैं
कि जब भी धरती पर अनाचार,अत्याचार,व्यभिचार,शोषण बढ़ता है तथा लोग आसुरी शक्तियों द्वारा सताये व परेशान किये जाते है, जब कभी मनुष्य अपने देवीय गुणों को छोड़ कर आसुरी प्रवृत्ति की और आकर्षित
होने लगता है उस समय ईश्वर महानायक के रूप में अवतार लेते है, और दुष्टों का संहार कर हम मानवों की रक्षा करते है। राम और कृष्ण का जीवन उनके कृत्य शिक्षाएं उनके उच्चादर्श आज भी समाज को नयी दिशा और प्रेरणा दे रहे है इन अवतारों के जीवन में
कितने विघ्न बाधाएं और समस्याएं आई रावण और कंस जैसे
पराक्रमी दुर्भिक्ष राक्षस आये जिन्होंने पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मचा रखी थी ।लेकिन इन अवतारों ने अपने प्रबल पुरुषार्थ से उन पराक्रमी राक्षसों को जड़-मूल
से समाप्त करते हुए एक नये सभ्य और सुसंस्कृत समाज की
स्थापना की ।
इसी प्रकार यदि
महात्मा गांधी के जीवन उनके आदर्शों और सिद्धांतों को देखते हुए उन्हें ईश्वरीय
चेतना का अवतार कहा जाए तो अतिशयोक्ति नही होगी । देश जब ब्रिटिशरों के आसुरी कृत्यों से दुःख के सागर में डूबा हुआ था उस
समय इस महापुरुष ने आशा का एक नया दीप प्रज्वलित किया । इस महात्मा ने सत्य और
अहिंसा के द्वारा न केवल समाज को अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र को एक नयी दिशा दी । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन भारत ही
नहीं वरन पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक रूप में है। दुष्प्रवृतियों के उन्मूलन के
लिए अवतारों के द्वारा एक बड़ी रणभूमि तैयार की जाती रही है भीषण नरसंहार किया जाता
है ।लेकिन इस महात्मा ने बिना किसी अस्त्र -शस्त्र और
नरसंहार के स्वयं को कष्ट देकर बिना किसी रणभूमि के
ब्रिटिश सत्ता को समाप्त किया वो ब्रिटिशर जिसके लिए कहा जाता था की “इस सत्ता का सूर्य कभी अस्त नहीं होता”। आज उनका नाम
याद करते हुए गर्व का अनुभव होता है। भले ही महात्मा आज हमारे बीच न हों, लेकिन वह सभी के हृदय में बसे हैं। उनके विचार और आदर्श आज हम सबके बीच हैं, हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उनका सदा जीवन
और मानव मात्र के प्रति संवेदना उन्हें अवतारी महापुरुषों के समकक्ष अनुभव कराती
है । राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी ने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित किया। उन्होंने इस लक्ष्य को
प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने
की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया।
यदि अवतारों के
परिप्रेक्ष्य में देखे तो वे धरती पर आते है अपने उद्देश्य को पूरा करते है और फिर
किसी न किसी निमित्त के द्वारा अपनी लीलाओं का समवरण करते हुए धरती से विदा लेते
है उसी प्रकार महात्मा हमारे बीच आये हमे दुःख और पराधीनता रुपी अन्धकार से मुक्ति
दिलाकर स्वयं एक छोटे से निमित्त के द्वारा असीम में समा गये । लेकिन उनके विचारों का प्रकाश आज भी हमारे राष्ट्र को सम्पूर्ण विश्व में
प्रकाशित कर रहा है । उनकी
शिक्षाएं उनके विचार आज भी प्रासंगिक है आइये ऐसे देवात्मा पुरुष को अपने श्रद्धा
रुपी पुष्प चढ़कर नमन करें और निश्चय करें की हम अपने जीवन में उनके आदर्शों को
जितना हो सके जीवन में उतारने का प्रयत्न करेंगे ।
एक देव पुरुष
को समर्पित श्रद्धा सुमन .............
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