ईश्वर ने मनुष्यों को अनेक प्रकार की योग्यताओं से विभूषित किया है। यदि मानव ध्यान दे तो उसे मालूम पड़ेगा की उसके व्यक्तित्व में ऐसे दिव्य गुणों का समावेश किया गया है जिनके कारण वह धरती पर अन्य जीवों से न केवल श्रेष्ठ है अपितु ईश्वर का प्रतिनिधि है।
परन्तु मानव के नकारात्मक विचार
उसे ऐसे दल-दल में घसीट ले जाते हैं कि वो
महामानव से महादानव के रूप में स्वयं के साथ-साथ वह इस धरा,धर्म और संस्कृति यहाँ
तक की मानव जाति के लिए घातक हो जाता है रावन, कुम्भकरण, कंस, महिषासुर,चंड-मुंड,रक्तबीज
आदि सर्वविदित हैं।
लेकिन आज मनुष्य के नकारात्मक
पक्ष की चर्चा न करते हुए ईश्वर की अनुपम कृति ‘मानव’ के जीवन की देवतुल्य योग्यताओं
के विषय में चर्चा करेंगे। मानव को ईश्वर प्रदत्त ऐसी विभूति प्राप्त है जिसके
वशीभूत हो मनुष्य अपना हृदय खोलकर रख देता है।
मानव ये विशेष गुण है उसकी निश्छल,
निष्कपट मुस्कान जो हृदय से हृदय को जोड़ती है। हँसता और खिलखिलाता चेहरातथा प्रेम
की मिठास से लबरेज़ स्वर किसे अच्छे नहीं लगते। मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी भी प्रेम
के भूखे हैं।
अत्यधिक क्रोध आने या किसी भी
प्रतिकूल परिस्थिति में यदि हम अपने पर नियंत्रण रखते हुए मुस्कुराहट के साथ मीठी
वाणी का प्रयोग करते हैं तो यह न केवल सुनने वाले को शांत करती है बल्कि आपके अंदर
भी बुरे भावों को शांत कर बड़े संकटों से आप को बचाती है।
अहंकार मनुष्य का सबसे प्रबल
शत्रु है यदि हम मीठी वाणी के साथ मधुर मुस्कान बिखेरते हैं तो स्वयं में भी एक
प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा एवं सभ्यता का अनुभव करते हैं ,जो हमारे व्यक्तित्व को
अन्य लोगों की तुलना में कुछ विशेष चमक प्रदान करती है ।
मुस्कराहट ईश्वरीय वरदान है और ये
विशेष वरदान केवल मानव जाति को ही प्रदान किया गया है। क्योंकि मनुष्य ईश्वर का
लाड़ला एवं उनके जैसी ही योग्यता धारण करने में सक्षम ईश्वर का पुत्र है। मनुष्य के
अतिरिक्त इस समूची प्रकृति में कोई भी पशु-पक्षी,जीव-जंतु मुस्करा नहीं सकता।
तो क्यों ना हम भी ईश्वर के इस अनुपम वरदान का प्रयोग कर परस्पर ईर्ष्या,द्वेष
को मिटाकर मधुर मुस्कान से किसी के हो जाएं और किसी को अपना बना ले। ईश्वर के
चरणों में इस अनुपम उपहार के लिए निश्चल मुस्कुराहट के दो पुष्प समर्पित करें एवं
दूसरों को भी प्रेरित करें और सही मायनों में जीवन जीना सीखें।
पंकज कुमार शर्मा
‘प्रखर’
लेखक एवं विचारक
कोटा, राज.
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