‘दोस्त’ यह शब्द याद आते ही हम सब के ज़हन
में कोई न कोई चेहरा घूमने लगता है| हमारे आज भाग-दौड़ भरे जीवन और एक दूसरे से आगे
बढ़ने की धमाल-चौकड़ी में हम अपने उन साथी-संगियों और करीबीयों की उपेक्षा कर बैठे
हैं जिनके साथ हमने कभी जीवन का शानदार समय बिताया था। वे हमारे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस या
हमारे यायावरी के दिनों के यार हो सकते हैं | जिनके सामने हम अपना दिल खोलकर रख
देते थे | जिनके साथ रहकर हमने बहुत कुछ सीखा और उनके अनुभव से बहुत कुछ पाया |
अतः हमें अपने ऐसे साथियों से फिर से मिलने और उनसे मजबूती
से जुड़ने का प्रयत्न करना चाहिए। आज सोशल मीडिया से हर व्यक्ति किसी न किसी रूप
में जुड़ा हुआ है सोशल मिडिया भी हमारे खोये हुए साथियों को हमसे मिलाने में सहायक
हो सकता है ।
इससे दो फायदे तो निश्चित रूप से होंगे एक तो उन लोगों से
मिलकर पुराने दिनों की मधुर स्मृतियाँ सहज ही हमारे मन को आनन्द से भर देगी | दूसरा
हमारे जीवन में आने वाले जो उतार-चढ़ाव हैं जिन्हें हम कई बार अपने परिवार से साझा
नहीं कर पाते उन्हें हम अपने करीबी दोस्तों से कहकर अपना मन हल्का कर सकते हैं तो
चलो मित्रों आज ही अपने उन पुराने मित्रों की सूची बनाकर उन्हें ढूँढते हैं।
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