दोस्तों, हमारा जीवन दो ही परिस्थितियों के इर्द-गिर्द गति करता है- एक है सकारात्मकता और दूसरी नकारात्मकता | हमारे आस-पास जो भी ऊर्जा फैली हुई है उसे सकारात्मक और नकारात्मक बनाना सब हमारे हाथ में है। सुने जाने वाले और कहे जाने वाले शब्दों का मन, मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है इसीलिए तो जब कोई प्रेमाप्लावित शब्दों का प्रयोग करता है तो हमारे निराश और दुखी मन में आनंद का अनुभव होता है, वहीं जब कोई हमसे कटु या कर्कश बोलता है तो हम आवेशित हो उठते हैं । सकारात्मकता और नकारात्मकता ये सिक्के के दो पहलू उछल-उछल कर जीवन का रूख बदलते रहते हैं |
अतःआज कुछ महत्वपूर्ण वाक्य आपको बता रहा हूँ जिसका दिन में
एक बार मन ही मन या जैसा अनुकूल लगे वैसे बोलकर आप अपनी मनःस्थिति बदल सकते हैं|
थोड़े ही अभ्यास से इन वाक्यों की सकारात्मक ऊर्जा आपको ईश्वर का स्मरण कराने के
साथ-साथ आपके मनोभावों को सकारात्मकता से भर देगी | ऐसे ही कुछ वाक्य हैं ”हरि इच्छा
प्रबल है”
अर्थात
भगवान की जो इच्छा है वही मेरी इच्छा है।,”हरि करे सो खरी” अर्थात भगवान
मेरे लिए जो कर रहे हैं मेरे लिए वही उचित है| या ”मुझ पर ईश्वर की विशेष
कृपा है।”
इन तीन वाक्यों का प्रयोग आप भीषण से भीषण स्थिति में भी
करेंगे तो भी आपको लाभ ज़रूर होगा और आप डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्याओं से बच
सकेंगे। इन वाक्यों को बोलने का या मन ही मन याद करने का अभ्यास करें निश्चित ही
आपका मन दुखद परिस्थितियों में भी शांत रहेगा और आप स्वयं को ईश्वर की कृपा से
घिरा पाएंगे।
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