हमने सुना है की किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र है
लेकिन ये अनुभव मुझे अभी कुछ दिन फले ही हुआ जब मीने एक उपन्यास पढ़ना शुरू किया
फले एक डॉ पगे तो मन बे मन पढ़ा ज्ञ लेकिन धीरे-धीरे उस पुस्तक ने मुझे अपने मोहपाश
में ऐसा बांधा की उस साढ़े चार सो पागे के उपन्यास को मीने केवल पाँच दिन में पढ़कर
ही डीएम लिया ।
हमें अपने जीवन में कहीं ना कहीं किसी ना किसी रूप में
किताबों से जुड़ना रहना चाहिए। ये साहित्य हिन्दी अङ्ग्रेज़ी किसी भी भाषा में हो
सकता हैं । जो व्यक्ति किसी ना किसी रूप में साहित्य से जुड़ा रहता है उसमे
नकरतमकता का प्रतिशत और लोगों की अपेक्षा कम होता है। साहित्य से जुड़ा व्यक्ति
काल्पनिक पात्रों के माध्यम से जीवन की ऊँची-नीची परिस्थितियों से इतना रूबरू हो
चुका होता है कि उसे अपने जीवन की समस्याएँ कम लगने लगती हैं। सुख-दुख के प्रसंगों
में उसे अलग-अलग कहानियों के पात्र याद आते हैं जो काल्पनिक होते हुए भी पाठक के
मनोबल को बनाए रखते हैं । जो साहित्य से जुड़े है सकारात्मक किस्से, कहानियाँ पढ़ते
हैं वह निराशा के कुएँ में नहीं गिरते
इसलिए भले ही एक पृष्ठ पढ़ें लेकिन प्रतिदिन कोई ना कोई अच्छी पुस्तक ज़रूर पढ़ें ।
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