शरीर कितना भी स्वस्थ हो लेकिन हमारा मन या मस्तिष्क उदासीन
है तो ये स्वस्थ शरीर भी उदासीन रहेगा और पूरे पैनेपन से कार्य नहीं कर पाएगा ।शरीर
को स्वास्थ्य रखने के लिए जिस प्रकार व्यायाम की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान की आवश्यकता होती है ।
ध्यान किसका ?‘शून्य’ का अर्थात ना किसी देवता का न किसी देवी का बल्कि अपने मस्तिष्क को विचारहीन करना कुछ नहीं सोचना हालांकि ये कठिन है लेकिन प्रयास करें इसके लिए ध्यान में बैठते समय अपने श्वास की गिनती करें पहले एक से दस, फिर एक से बीस फिर निरंतर संख्या बढ़ाते रहें गिनती में गलती होने पर फिर एक से शुरू करें ऐसा करने पर आप पाएंगे की आपका मन केवल गिनती में लगा हुआ है और उसकी भागदौड़ बहुत सीमा तक कम हो गयी है।
ये प्रयोग
हमारी स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायता करता है जो कि आज हर वर्ग के
व्यक्ति के लिए आवश्यक है ।
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