हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी का कहना था कि देश के
प्रत्येक व्यक्ति तक शिक्षा का प्रसार होना चाहिए। यदि प्रत्येक नागरिक शिक्षित
होगा तो एक श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण होगा। श्री गांधी हमारे देश में तकनीक लाने
वाले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल भारतीय जनता को तकनीकी से रूबरू कराया
अपितु तकनीकी के द्वारा एक नये राष्ट्र की कल्पना की जिसका जीता जागता स्वरूप हम
वर्तमान समय में देख रहे है। आज हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में तकनीकी से जुड़ा
हुआ है ।
राजीव गांधी की
मान्यता थी कि शिक्षित जनता ही श्रेष्ठ प्रतिनिधियों को निर्वाचित कर सकती है। देश
की समस्याओं का सुन्दर ज्ञान रख सकती है और शिक्षित जनता ही देश के कार्यों में
बुद्धिमतापूर्ण तथा सक्रिय योगदान दे सकती है। कोई भी लोकतंत्र अपने मतदाताओं की
सामान्य बुद्धि एवं शिक्षा के स्तर को बढ़ाए बिना ऊंचा नहीं उठ सकता। इसलिए
नागरिकों के शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने से ही उत्कृष्ट लोकतंत्र का जन्म हो सकता
है। अशिक्षित जनता लोकतंत्र की घातक शत्रु होती है, अशिक्षित
जनता के कारण लोकतंत्र प्रायः निरंकुश तंत्र अथवा भीड़ तंत्र में परिवर्तित हो
जाता है। शिक्षित जनता ही वास्तविक लोकतंत्र का निर्माण करती है। इसीलिए राजीव
गांधी का पूर्ण विश्वास था कि लोकतंत्र में शासन तभी श्रेष्ठ होगा जब जनसाधारण
शिक्षित हो तथा उसमें उच्च कोटि की राजनीतिक सूझबूझ हो। राजीव गांधी के अनुसार
सम्पूर्ण समाज में ऐसी सहज बुद्धि और राजनीतिक चातुर्य होना चाहिए जिससे नागरिक
बुद्धिमतापूर्वक अपने प्रतिनिधियों एवं नेताओं को चुन सके तथा सामने आने वाले
महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझ सके और बुद्धिमतापूर्वक उन पर वाद-विवाद कर सके। लेकिन
यह तभी सम्भव होगा जब जन साधारण अनिवार्य रूप से शिक्षित हो। वास्तव में लोकतंत्र
की सफलता के लिए अति महत्वपूर्ण पूर्व शर्तों में शिक्षा का एक अपरिहार्य स्थान
होता है। अच्छी शिक्षा के द्वारा ही नागरिकों का चरित्र श्रेष्ठ बनाया जा सकता है
तथा उनमें अपने अधिकारों के उचित उपभोग एवं कर्तव्यों के उचित सम्पादन की भावना
जागृत की जा सकती है।
उनकी कल्पना एक
ऐसे भारत की थी जिसमें अमीर-गरीब का भेदभाव न हो, सभी
आनन्द से एकजुट होकर रहें, जहां साम्प्रदायिक भेद-भाव
की गुंजाइश नहीं हो-सचमुच में एक ऐसा भारत जो सभी तरह से अपने पैरो पर खड़ा होकर
विश्व का नेतृत्व करे। राजीव गांधी के भीतर अपने देश एवं देशवासियों के लिए अपनी
क्षमता के अनुसार कुछ कर देने की प्रबल भावना थी, जिसके
बल पर उन्होंने इक्कीसवीं सदी के समुन्नत, समृद्ध भारत
की परिकल्पना की थी। वस्तुतः राजीव गांधी के रूप में, एक
ऐसे व्यक्तित्व का नेतृत्व हमारे देश को प्राप्त हुआ था जो देश को भावी यात्रा के
संबंध में एक निर्धारित दिशा दे सकता था।
राजीव गांधी
निश्चित रूप से एक दूरदर्शी व्यक्ति भी थे उन्होंने बहुत पहले एक बात कही थी की ‘हर
व्यक्ति को इतिहास से सबक लेना चाहिए. हमें यह समझना चाहिए कि जहाँ कहीं भी आंतरिक
झगड़े और देश में आपसी संघर्ष हुआ है, वह देश कमजोर हो
गया है. इस कारण, बाहर से खतरा बढ़ता है. देश को ऐसी
कमजोरी के कारण बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है’ आज जबकि
हमारे देश में जातिगत वैमनस्य की प्रदूषित बयार चल रही है हमें उनके इस विचार को
गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ।
सिद्ध हो।
सर्वाधिकार
सुरक्षित
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