14 Dec 2016

श्रेष्ट विद्यार्थी और गौरवशाली राष्ट्र


विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  इस समय में बने संस्कारसीखी हुई कलाएँ हमारा भविष्य निर्धारित करती हैं  इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि मनुष्य अपने विद्यार्थी जीवन से ही देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे  इससे वह अपने जीवन को इस प्रकार ढाल सकेगा कि राष्ट्र के प्रति उसके जो कर्तव्य है वो उन्हें पूरा करने के लिए सक्षम बने 
एक विद्यार्थी के रूप में मनुष्य का देश के प्रति पहला कर्तव्य यह होता है कि वह अपनी शिक्षा उचित रूप से पूर्ण करे  शिक्षा मनुष्य की योग्यता बढ़ाती है  उसे सामर्थ्यवान बनाती हैउसके विवेक का विकास करती है  कर्तव्यों का ज्ञान दिलाती है  एक उचित शिक्षा पाया हुआ व्यक्ति अपने परिवारसमाज तथा देश की सही तरीके से सेवा कर सकता है  इसलिए शिक्षा प्राप्त करना किसी भी विद्यार्थी का पहला कर्तव्य है ।उचित शिक्षा के अलावा विद्यार्थी का दूसरा कर्तव्य है कि वह अपने स्वास्थ्य पर सही ध्यान दे  कहा जाता है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है  एक शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही देश की सही तरीके से सेवा कर सकता है 
शिक्षा तथा स्वास्थ्य के बाद देश के प्रति विद्यार्थी का जो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है देश के शक्ति-बोध तथा सौंदर्य-बोध को बढ़ाना  विद्यार्थी जहाँ भी जाएउन्हें हमारे देश के गौरवशाली अतीत का पूरा स्मरण होना चाहिए  एक विद्यार्थी को किसी भी परिस्थिति में अपने देश की बुराई नहीं करनी चाहिए , देश की कमियाँ नहीं निकालनी चाहिए  उसे हमेशा देश के सामर्थ्यदेश की असीम क्षमता का गुणगान करना चाहिए  विद्यार्थी कहाँ भी जाएदेश के लिए सकारात्मक माहौल का निर्माण करे  इससे देश का शक्ति-बोध बढ़ता है  इसके अलावा विद्यार्थी को देश का सौन्दर्य-बोध बड़ाने में भी योगदान देना चाहिए  उसे कहीं भी गंदगी नहीं फैलानी चाहिए व दूसरों को भी गंदगी फैलाने से रोकना चाहिए  अपने व्यवहार से वो देश में स्वच्छता के प्रति जागरूकता ला सकता है  एक विद्यार्थी को अपने व्यवहार में सज्जनता रखनी चाहिए  उसे यहाँ कि बातें वहाँ नहीं करनी चाहिए  खुद में किया हुआ यह परिवर्तन देश के सौन्दर्य-बोध को दृढ़ करता है 
इस तरह खुद के व्यवहार में परिवर्तन कर विद्यार्थी देश में कई सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं  विद्यार्थियों को अपने सामाजिक परिवेश तथा देश के सामने जो महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं , उनके बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए  विद्यार्थी देश में साक्षरता के प्रसारअंधविश्वास के निर्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं  उन्हें अपने दिनचर्या का एक निश्चित समय देश व समाज की सेवा के लिए निर्धारित करना चाहिए  वो अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं कि किसी विशिष्ट सामाजिक समस्या को दूर करने के लिए वह नियमित प्रयास करेंगे  उनका प्रयास भले छोटा हो पर एक लम्बे समय में वह अवश्य देश व समाज को लाभान्वित करेगा  इस प्रकार उचित शिक्षा प्राप्त करनास्वयं को स्वस्थ रखनासामाजिक बुराइयों को दूर करना , देश में सकारात्मक माहौल निर्माण करना व देश के सौन्दर्य-बोध को बढ़ाना विद्यार्थी का मुख्य कर्तव्य है 

                                                                  सर्वाधिकार सुरक्षित




No comments:

Post a Comment

युवा नरेन्द्र से स्वामी विवेकानंद तक....

  जाज्वल्य मान व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद ‘ विवेकानंद ’ बनने से पहले नरेन्द्र नाम के एक साधारण से बालक थे। इनका जन्म कोलकता में एक स...