3 May 2020

अतिविचित्र है जिह्वा हमारी....

हमारी एक अति महत्वपूर्ण इंद्रिय है, ‘जीभ’ जिसे ‘रसना’ तथा ‘वाणी’ भी कहा गया है। इसकी विशेषता हैं कि ये भोजन के टुकड़े कर उन्हें शरीर के भीतरी भागों में पहुंचाने के साथ-साथ भोजन के रस अर्थात् उसके स्वाद का हमें अनुभव कराती है । इसके ये दोनों प्रकार के कर्म इस इंद्रिय को शरीर के सभी अंग अवयवों में विशेष महत्व का बना देते हैं । रसना और वाणी इन दोनों ही शब्दों का अलग-अलग अर्थ और महत्व है दोनों का व्यवस्थित रूप से उपयोग अति आवश्यक है। यदि जीभ हमारे विवेक रूपी अंकुश में रहे तो हमें उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती है वहीं अगर इस पर अंकुश न रखा जाये तो ये हमारे स्वास्थ्य का नाश करती हुई हमारी जीवन शक्ति का ह्रास करती है साथ ही विभिन्न प्रकार के रोग हमारे शरीर में भर देती है।
जिह्वा रसना के रूप में…
ऐसा भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिह्वा पर नियंत्रण नहीं रख सकता वह अपनी इंद्रियों को भी साध नहीं सकता और जब तक इंद्रियों को न साधा जाये तब तक कोई लक्ष्य भी हांसिल नहीं किया जा सकता । लेकिन हम मनुष्यों ने ज़ायके की वजह से,अनावश्यक चीजों की वजह से और न खाने वाली चीजों को खाने की वजह से अपने पेट का सत्यानाश कर लिया। अपनी सेहत को खराब कर लिया। अगर आपको सेहत ठीक रखनी है, मानसिक स्तर ठीक रखना है, तो आप संयम कीजिए।

कई मनुष्यों के द्वारा किया जाने वाला मांस भक्षण केवल अपनी स्वाद रूपी इच्छा को तृप्त करने के लिए ही किया जाता है।  हम हैं तो मनुष्य लेकिन अपनी स्वाद लोलुपता के कारण हमने अपने पेट को कब्रिस्तान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी , जबकि प्रकृति ने पोषक तत्वों से भरपूर फल और सब्जियाँ दी हुई हैं अनेकों प्रकार के अनाज हैं ऐसे में उन सात्विक खाद्यों को छोड़कर तामसिक और विदेशी भोजन पीज़ा, पास्ता, मेगी, बरगर, हॉटडॉग जैसे विदेशी खान-पान का प्रयोग सर्वथा स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुचित ही कहा जाएगा। 

जो व्यक्ति अपनी जिह्वा पर नियंत्रण रख सकता है वही अपनी कामेन्द्रियों को नियंत्रित कर सकता है ऐसे मनुष्य के लिए ब्रह्मचर्य रख पाना आसान होता है।
जिह्वा ‘वाक् शक्ति’ अर्थात वाणी के रूप में
वाणी अर्थात ‘वाक् शक्ति’ जिस सरस्वती भी कहते हैं। वाणी के द्वारा आप संसार को अपना मित्र भी बना सकते हैं और शत्रु भी, मीठी और संयत वाणी के महत्व को समझने वाला व्यक्ति बिना किसी अन्य साधन के संसार को मोहित कर सकता है । ये ही भाव प्रस्तुत दोहे में दृष्टिगोचर होता है...
''कौआ काको धन हरे, कोयल काको देत,
मीठे वचन सुनायके जग अपनो कर लेत ।।''
मैं तो हमेशा सच बोलता हूँ और सच्ची बात हमेशा कड़वी होती है इसलिए लोग बुरा मान जाते हैं जबकि वास्तविकता ये है कि सत्य का कड़वेपन से कोई ताल्लुक नहीं है । कड़वेपन का जो ताल्लुक है, वह आदमी के अहंकार से है।
 यदि आपकी वाणी सच्चाई का प्रदर्शन करने के लिए कड़वे लहज़े और शब्दों का प्रयोग करेगी तो निश्चित रूप से जिससे कड़वे शब्द कहे जाएंगे वो आपकी बात मानने से रहा इसका उलटा असर ये होगा कि उसकी दृष्टि में आपका सम्मान कम हो जाएगा और दूरियाँ बड़ने लगेंगी जैसा कि आज हमारे परिवारों में देखने को मिलता है ।
 जिद व्यक्ति की वाणी हर वक्त बिच्छू के डंक की तरह दूसरों को कष्ट पहुंचाती रहती है और दूसरों का अपमान करती रहती है ऐसे व्यक्तियों से लोग किनारा करने लगते हैं । यहाँ तक कि उनके द्वारा कही गई सही बात भी नहीं सुनी जाती और सुन भी ली जाए तो उसके पीठ पीछे लोग उसे भला बुरा ही कहते हैं। जो आदमी दूसरों को छोटा समझता है, वही कड़वे वचन बोल सकता है। जो आदमी घमंड से भरा हुआ है, वही कड़वे वचन बोल सकता है। 

आप सामने वाले की इज्जत कीजिए। अगर सामने वाले से शिकायत है तो उसे प्यार से समझाइए। जिनकी शिकायत आप दूर करना चाहते हैं, उनको समझाने की कोशिश कीजिए। अपने दिमाग को  संतुलित रखकर प्रेम और संतुलित शब्दों के साथ उन्हें बुरी से बुरी बात समझाई जा सकती है।
गलत सलाह देना, कड़वे वचन बोलना, असत्य बोलना, न खाने योग्य चीज़ें जैसे- मांस,मछली,शराब बुरी चीजें खाना ये सब वाणी के असंयम हैं जिनसे वाणी का प्रभाव समाप्त होने लगता है। अगर आप जीभ पर संयम रख सकें तो आपको आध्यात्मिकता के वे लाभ मिल सकते हैं, जिनसे लोग प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते लोग आपको सुनना पसंद करेंगे 

कई साधु महात्मा जब कथा सत्संग करते हैं तो हजारों की संख्या में लोग एक चित्त होकर उन्हें सुनते हैं इसका कारण ये है कि उन संतों ने वाणी के संयम के द्वारा  अपनी वाणी को प्रभावशाली बनाया है यदि सावधानी पूर्वक वाणी का संयम रखा जाये तो व्यक्ति के द्वारा कहे गये वाक्य फलने लगते हैं उसके द्वारा दिये जा रहे आशीर्वाद या श्राप फलीभूत होने लगते हैं आपको शाप देने और वरदान देने की शक्ति मिल सकती है।

अतः वाणी के अपव्यय से बचें और दूसरों के लिए हितकर वचन कहें तो पूरा संसार आपका मित्र बन जाएगा और आपका सम्मान भी करेगा। सर्वाधिकार सुरक्षित

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