लेखक के रूप में……. ईश्वर की कृपा से जिंदगी थोड़ा ठहरी और समय मिला भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने का, तो अपने आस-पास घटने वाली पारिवारिक, सामाजिक समस्याओं से मन कसमसाया और विचार शब्दों के रूप में कागज पर ढुलक गए। मैंने भारतीय नारी, युवा उत्कर्ष, समाज, विद्यार्थी जीवन की गौरव गरिमा एवं समसामयिक कई विषयों पर कलमकारी की है। समाज के कई मूर्धन्य लेखकों और कवियों ने सराहा तो निरंतर कलम चलाता रहा । मैं आज भी पूरी ईमानदारी,जिम्मेदारी और सूझबूझ के साथ सारगर्भित लिखने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।
युवा नरेन्द्र से स्वामी विवेकानंद तक....
जाज्वल्य मान व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद ‘ विवेकानंद ’ बनने से पहले नरेन्द्र नाम के एक साधारण से बालक थे। इनका जन्म कोलकता में एक स...
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भारत वर्ष विश्व में एक मात्र ऐसा देश है , जिसने जीवन मूल्यों की स्थापना की ये वो देश है जिसने समूचे विश्व को नैतिकता और आदर्शों का पाठ प...
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इस भयंकर काल खंड में जिसमें की अकाल ही लोग काल - कवलित हो रहे हैं ऐसे में आवश्यकता है कि हम लोग अपने जीवन की रक्षा घर पर रहकर ही करें एवं ...
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स्त्री और नदी दोनों ही समाज में वन्दनीय है तब तक जब तक कि वो अपनी सीमा रेखाओं का उल्लंघन नहीं करती । स्त्री का व्यक्तित्व स्वच्छ निर्म...